World Obesity Day 2024: हर साल विश्व मोटापा दिवस 4 मार्च को मनाया जाता है। विश्व मोटापा दिवस पहले 11 अक्टूबर को मनाया जाता था पर अभी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस तारीख को 2020 में 4 मार्च कर दिया गया, जिस कारण हर साल 4 मार्च को विश्व मोटापा दिवस मनाया जाता है जो की मोटापा संबंधित समस्याओं के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए एक वैश्विक मंच के रूप में कार्य करता है।
World Obesity Day 2024: मोटापा देश और दुनिया की सबसे बड़ी समस्या है
World Obesity Day 2024: विश्व मोटापा दिवस भारत में बढ़ रही मोटापे की समस्याओं को उजागर करेगा। एक रिपोर्ट के मुताबिक आंकड़े बताते हैं कि भारत में 5 से 19 वर्ष की आयु के लगभग 1.25 करोड़ से ज्यादा बच्चे अधिक वजन वाले हैं, वहीं पर अगर हम 1990 की बात करें तो यह संख्या 30 से 40 लाख थी।
अब आप इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि हर साल यह समस्या कितनी तेजी से बढ़ रही है, इस समस्या पर गहन चर्चा करने के लिए ही विश्व मोटापा दिवस 4 मार्च को मनाया जाता है जिससे हम सभी देशवासियों को इस गंभीर समस्या के बारे में बता सकें।
द लेसेंट जनरल में प्रकाशित एक अध्ययन की माने तो इस समस्या से पीड़ित 1.25 करोड़ इंसानों में लगभग 73 लाख लड़के और 52 लाख लड़कियां हैं।
वहीं पर अगर वैश्विक स्तर की बात करें तो लगभग 100 करोड़ से ज्यादा लोग मोटापे जैसी गंभीर समस्या से पिड थे जिसमें बच्चे बड़े बूढ़े हर कोई सम्मिलित हैं। मोटापा और कम वजन दोनों ही कुपोषण के प्रकार होते हैं, लोगों का मानना है कि कम वजन वाले लोग कुपोषण के शिकार माने जाते हैं पर असल में मोटापा और कम वजन होना दोनों ही कुपोषण के ही रूप हैं।
WHO के मुताबिक, 2022 में दुनिया के बच्चों और बड़ों की मोटापे की दर 1990 की तुलना में लगभग चार गुना बढ़ गई है।
अगर हम भारत की बात करें तो वयस्क मोटापे की दर 1990 में 1.2% थी जो की 2022 में बड़कर महिलाओं के लिए 9.8% और पुरुषों के लिए 0.5 से 5.4% तक हो गई है। इसके अनुसार 2022 में लगभग 4.30 करोड़ महिलाएं और 2.5 करोड़ पुरुष मोटापे से प्रभावित थे और आज 2024 में यह संख्या और भी बढ़ गई होगी।
मोटापा एक बढ़ता हुआ संकट है: विश्व मोटापा दिवस
World Obesity Day 2024: जैसा कि हमने आपको बताया कि मोटापा एक बढ़ता हुआ देश और दुनिया का सबसे बड़ा संकट है। कुपोषण से प्रभावित लोग हर रोज समस्या से ग्रसित होते जा रहे हैं सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि हमारे युवा लगातार मेहनत करने के बाद भी इन समस्याओं से उभर नहीं पा रहे हैं इसलिए देश दुनिया का ध्यान इस समस्या की तरफ आकर्षित करना बहुत ज्यादा जरूरी हो जाता है।
मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल साकेत के अध्यक्ष डॉक्टर प्रदीप चौबे ने कहा कि “हमारे राष्ट्र का स्वास्थ्य इस मुद्दे को सीधे संबोधित करने पर निर्भर करता है, हम सबको एक सक्रिय दृष्टिकोण से, अपने प्रयासों से जागरूकता फैलानी होगी, इस समस्या के प्रति रोकथाम करनी होगी जिसकी शुरुआत बच्चों और परिवारों को स्वस्थ विकल्प चुनने के लिए सशक्त बनाने से होनी चाहिए।”
यह समस्या न केवल हमारे स्वास्थ्य सेवा प्रणाली बल्कि पूरे देश की समग्र अर्थव्यवस्था पर एक दबाव डाल रही है इस समस्या का समाधान करना अत्यंत आवश्यक हो चुका है यह समस्या हमारे देश के युवाओं को अंदर ही अंदर कमजोर बनाती जा रही है।
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